Saturday 12 November 2011

Chawal ki Maand

चावल के मांड़ने बनाया चीन की दीवार को मजबूत



लंदन. वैज्ञानिकों ने चीन की विश्वविख्यात दीवार की मजबूती का राज पता लगाने का दावा किया है। उनका कहना है कि इसे बनाने के लिए गारे में चावल का मांड़’ (पके चावल में बचा हुआ चिपचिपा पानी) डाला गया था। झेजियांग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की टीम ने यह दावा किया है। चीन में मीठे चावल को खूब पसंद किया जाता है। यह आधुनिक एशियाई खानपान का अहम हिस्सा भी है। अध्ययनकर्ता वैज्ञानिकों के अनुसार, 1500 साल पहले दीवार बनाने वालों ने चावल के इसी चिपचिपे पानी को बुझे हुए चूने और चूना पत्थर के साथ मिलाया। दीवार की ईटों और पत्थरों को जोड़ने के लिए इसी मिश्रण का उपयोग किया गया था। यहां तक कि इस मिश्रण से चीन में भूकंपरोधी मीनारें, पैगोडा और शहर की दीवारें भी बनाई र्गई। ये सभी आज तक मौजूद हैं।
दावे का वैज्ञानिक आधार : गारे का रासायनिक विश्लेषण करने पर पाया गया कि इसमें जैविक पदार्र्थो के साथ कुछ अकार्बनिक यौगिक भी मिले हैं। इनमें एमिलापेक्टीन नाम का अकार्बनिक पदार्थ प्रमुख है, जो चावल के मांड़ में पाया जाता है। यह गारे में मौजूद कैल्शियम काबरेनेट को क्रिस्टल में बदलने से काफी हद तक रोकता है। वैज्ञानिकों ने इस तरह से बने गारे के टिकाऊपन को आधुनिक तकनीकों की मदद से साबित भी किया है।
दुनिया के सात अजूबों में शामिल और निर्माणकला की अनूठी मिसाल चीन की महान दीवार का निर्माण चावलों से हुआ है। सुनने में भले ही अटपटा लगे लेकिन यह सच है कि एशिया में सबसे ज्यादा खाया जाने वाला चावल ही दुनिया की सबसे बड़ी दीवार की मजबूती का आधार है। चीन के झेजियांग विश्वविद्यालय के शौधकर्ताओं की एक टीम ने पता लगाया है कि चीन की दीवार में लगा मोर्टार (इंटों और अन्य निर्माण सामग्री को जोड़ने वाला पेस्ट) चावलों से बना था।

इस शौध में यह भी पता चला कि चीन में निर्माणकर्ता ज्यादातर इमारतें चावलों से बने गाढ़े पेस्ट का इस्तेमाल करके बनाए गए मोर्टार से बनाते थें। वो मोर्टार को मजबूत बनाने के लिए बुझे हुए चूने और चूना पत्थर में चावल का सूप मिला देते थे। इस तरह बनाए गए मोर्टार से की गई चिनाई ज्यादा मजबूत होती थी। इसका स्पष्ट प्रमाण चीन की मजबूत दीवार हो जो पिछले 1500 सालों से तमाम प्राकृतिक आपदाओं का सामना करते हुए भी मजबूती से खड़ी है।
बीजिंग। यूनेस्को की विश्व विरासत स्मारकों में शामिल ग्रेट वॉल ऑफ चाइनाके कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त पाए जाने के बाद चीन अपनी ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। दुनिया के सात अजूबों में से एक चीन की विशाल दीवार को 770-476 ईसा पूर्व के बीच बनाया गया था। सात महीने की जांच पड़ताल में इस दीवार के 620 किलोमीटर के एक हिस्से को क्षतिग्रस्त पाया गया था। जांच दल के प्रमुख पुरातत्वशास्त्री ली झेंगगुआंग का कहना है कि जांच के नतीजों ने ग्रेट वॉल को बचाने की शुरआत की जिसे स्थानीय निवासियों ने क्षति पहुंचाई।उन्होंने कहा कि ग्रेट वॉल की सटीक लंबाई और जगहों की पहचान करने के बाद एक ऐसा तंत्र बनाया जा सकता है जिसमें तोड़फोड़ के लिए स्थानीय लोगों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

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